तुझे इश्क़ हो ख़ुदा करे- तूझे कोई उससे जुदा करे,
तेरे होंठ हँसना भूल जाए- तेर
ी आँख पुरनम रहा करे,
तू उसकी बातें किया करे- तू उसकी बातें सुना करे,
उसे देख के तू रुक पड़े- वो नज़र झुक के चला करे ।
तुझे हिज्र की ऐसी जड़ी लगे- तू मिलन की हर पल दुआ करे,
तेरे ख़्वाब बिखरें टूट कर
तू किरचि किरचि चुना करे ।
तू नगर नगर फ़िरा करे- तू गली गली सदा करे,
मैं कहू के इश्क़ ढोंग हैं- तू नही नही किया करे,
ये दुआ है आतिश-इश्क़ में,
की मेरी तरह तू जला करे,
ना नसीब हो तुझे बैठना,
तेरे दिल मे दर्द उठा करे ।
लीटे हो खुली और चश्म-ए-तर,
कहीं नाला लब पे हो सोज़गार,
के मेरी तलाश में दर बदर- तू पकड़ के दिन को फ़िरा करे ।
तेरे सामने तेरा घर जले- तू बुझा सके ना बस चले,
तेरे दिल सर निकले यही दुआ,
ना घर किसी का जला करे,
तुझे इश्क़ पे फिर हो यक़ीन- इसे तसबीयों पे पढ़ा करे,
लौट आएं ख़ैर से फिर वो दिन,
कही ना आए चैन तुझे मेरे बिन,
ना लगाए तुझको गले से हम,
तू हज़ार मिन्नतें किया करे !
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